जब जयश्री प्रदीप मिले इतने साल बाद दोबारा
तो ऐसा क्युं कहते हैं की "जिंदगी ना मिले दोबारा"?
वे चले थे कभी साथ पाठशाला में पढ़ते पढ़ते
लायी जिंदगी साथ इस मुकाम पर वक़्त के बढ़ते
कुछ काल रहे अपनी दुनियां में वक़्त के चलते
बरसों के बाद बगियामे दिखे फूल फ़िर खिलते
कर्म की गति को कौन समझा, समझायेगा
भविष्य तो हमेंशा नये नये रंग दिखलायेगा
तो आओ चलकर करें इस वक़्त का अभिवादन
जयश्री प्रदीप को हम सबके हार्दिक अभिनदंन
अब तो कहना होगा "जिंदगी मिले जरूर दोबारा"
जब जयश्री प्रदीप मिले इतने साल दोबारा
अपनी पत्नी की बहुत साल तन मन धन से सेवा करने के बावजूद मेरा दोस्त उसे बचा न सका और सालों अकेलापन महसूस करने के बाद जब उसकी अपने बचपनकी दोस्त से आकस्मिक मुलाकात हुई और जब दोनों ने शेष जीवन साथ बितानेका फैसला किया तब उनका अभिवादन करते हुए लिखी गयी पंक्तिया......
तो ऐसा क्युं कहते हैं की "जिंदगी ना मिले दोबारा"?
वे चले थे कभी साथ पाठशाला में पढ़ते पढ़ते
लायी जिंदगी साथ इस मुकाम पर वक़्त के बढ़ते
कुछ काल रहे अपनी दुनियां में वक़्त के चलते
बरसों के बाद बगियामे दिखे फूल फ़िर खिलते
कर्म की गति को कौन समझा, समझायेगा
भविष्य तो हमेंशा नये नये रंग दिखलायेगा
तो आओ चलकर करें इस वक़्त का अभिवादन
जयश्री प्रदीप को हम सबके हार्दिक अभिनदंन
अब तो कहना होगा "जिंदगी मिले जरूर दोबारा"
जब जयश्री प्रदीप मिले इतने साल दोबारा
अपनी पत्नी की बहुत साल तन मन धन से सेवा करने के बावजूद मेरा दोस्त उसे बचा न सका और सालों अकेलापन महसूस करने के बाद जब उसकी अपने बचपनकी दोस्त से आकस्मिक मुलाकात हुई और जब दोनों ने शेष जीवन साथ बितानेका फैसला किया तब उनका अभिवादन करते हुए लिखी गयी पंक्तिया......